राजभाषा प्रकोष्ठ
Rajbhasha Prakoshth
सदस्य:
![]() श्री उमेश कुमार सिंह
सहायक कुलसचिव / राजभाषा अधिकारी This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it. 0877 250 3535 |
![]() श्रीमती सी विजयलक्ष्मी
हिन्दी कनसल्टेंट This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it. |
राजभाषा नीति @ आई आई टी तिरुपति
पृष्ठभूमि:
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुपति (आईआईटी तिरुपति), प्रौद्योगिकी संस्थान अधिनियम, 1961 के तहत निगमीकृत किया गया है तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधित) अधिनियम, 2016 की धारा 2 के तहत भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय महत्व का एक संस्थान है। इसने शैक्षणिक वर्ष 2015-16 से अपना कार्य करना प्रारंभ कर दिया है।
संस्थान में भारत सरकार की राजभाषा नीति के अनुपालन में निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं:
कुछ उपाय वैधानिक प्रकृति के हैं, कुछ गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित निर्देशों/लक्ष्यों के पालन से संबंधित हैं, जबकि हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने के लिए कुछ कदम उठाए जा रहे हैं।
वैधानिक उपाय
वैधानिक उपाय:
- राजभाषा विभाग के निर्देशों के अनुसार राजभाषा कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है
- समिति द्वारा निम्नलिखित उद्देश्यों से लिए गए निर्णयों पर अनुवर्ती कार्रवाई करने में सहयोग देने के लिए एक हिंदी प्रकोष्ठ का गठन किया गया है:
- वार्षिक कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना
- राजभाषा हिन्दी के प्रयोग में उत्तरोत्तर प्रगति सुनिश्चित करना और
- राजभाषा नीति के कार्यान्वयन को सुगम बनाना।
- वार्षिक रिपोर्ट, वार्षिक लेखा और इस किस्म के अन्य दस्तावेजों का अनुवाद
राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित निदेशों/लक्ष्यों के अनुसार अन्य कार्य समयबद्ध तरीके से किए जा रहे हैं
राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित निदेशों/लक्ष्यों के अनुसार अन्य कार्य समयबद्ध तरीके से किए जा रहे हैं
- राजभाषा अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी देने के लिए तथा कर्मचारियों को उनके कर्तव्य के बारे में संवेदनशील बनाने के लिए त्रैमासिक हिंदी कार्यशालाओं / संगोष्ठियों का आयोजन करना और सक्षम प्राधिकारी को समय पर आवधिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना
- हिंदी पखवाड़े का आयोजन
- केंद्र सरकार के कार्यालयों के साथ हिंदी/द्विभाषी रूप में पत्राचार और निर्धारित के रूप में फाइल नोटिंग
- ई-बुक्स, सीडी/ डीवीडी सहित पुस्तकालय के लिए हिंदी पुस्तकों की खरीद
राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए प्रस्तावित अन्य उपाय
राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए प्रस्तावित अन्य उपाय
- संस्थान के सभी सदस्यों को प्रति दिन एक स्वागत संदेश भेजना जिसमें एक हिंदी शब्द उसके तेलुगु और अंग्रेजी अर्थ के साथ साझा किया जाता है।
- तिमाही समाचार पत्र का हिंदी और अंग्रेजी में(द्विभाषी) प्रकाशन
- "लीला राजभाषा" ऐप के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना
संस्थान की राजभाषा प्रकोष्ठ की तिमाही रिपोर्ट
तिमाही प्रगति रिपोर्ट
शीर्षक | डाउनलोड |
---|---|
तिमाही प्रगति रिपोर्ट की ऑनलाइन प्रस्तुति संबंधी प्रयोगकर्ता नियम पुस्तिका |
|
जून 2021 को समाप्त अवधि के लिए राजभाषा हिन्दी के प्रयोग संबंधी तिमाही प्रगति रिपोर्ट भाग-I |
|
दिसंबर 2021 को समाप्त अवधि के लिए राजभाषा हिन्दी के प्रयोग संबंधी तिमाही प्रगति रिपोर्ट भाग-I
|
|
मार्च 2022 को समाप्त अवधि के लिए राजभाषा हिन्दी के प्रयोग संबंधी तिमाही प्रगति रिपोर्ट भाग-I एवं II |
|
जून 2022 को समाप्त अवधि के लिए राजभाषा हिन्दी के प्रयोग संबंधी तिमाही प्रगति रिपोर्ट भाग-I |
राजभाषा कार्यान्वयन समिति
राजभाषा कार्यान्वयन समिति
- प्रो. के एन सत्यनारायण, निदेशक-अध्यक्ष
- श्री ए वी वी प्रसाद कुल सचिव -सदस्य
- डॉ प्रभा शंकर द्विवेदी सहायक प्राध्यापक, मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग-सदस्य
- डॉ वनीत कश्यप सहायक प्राध्यापक मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग-सदस्य
- श्री चमन मेहता, उप कुल सचिव/प्रशा-सदस्य
- श्री संतोष कुमार साहू उप कुल सचिव/स्थापना & क्रय -सदस्य
- श्री एल राजन बाबू, उप कुल सचिव/वित्त & लेखा-सदस्य
- श्री उमेश कुमार सिंह, सहायक कुल सचिव- -सदस्य सचिव
- सी। विजयलक्ष्मी, हिन्दी कंसल्टेंट --सदस्य
वार्षिक कार्यक्रम
शीर्षक | डाउनलोड |
---|---|
वार्षिक कार्यक्रम वर्ष : 2022-2023 |
पी डी एफ |
सुविचार
- "राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।" - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार।
- "विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है।" - वाल्टर चेनिंग।
- "राष्ट्रभाषा हिंदी का किसी क्षेत्रीय भाषा से कोई संघर्ष नहीं है।" - अनंत गोपाल शेवड़े।
- "इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।" - राहुल सांकृत्यायन।
- "जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी।" - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
- "संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।" - डॉ. फादर कामिल बुल्के।
- "हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया।" - राजेंद्रप्रसाद।
- "जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।" - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
- "तलवार के बल से न कोई भाषा चलाई जा सकती है न मिटाई।" - शिवपूजन सहाय।
- "लाखों की संख्या में छात्रों की उस पलटन से क्या लाभ जिनमें अंग्रेजी में एक प्रार्थनापत्र लिखने की भी क्षमता नहीं है।"- कंक।
- "हिंदी भाषी ही एक ऐसी भाषा है जो सभी प्रांतों की भाषा हो सकती है।" - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार।
- "क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो।" - डॉ. श्यामसुंदर दास।
- "किसी देश में ग्रंथ बनने तक वैदेशिक भाषा में शिक्षा नहीं होती थी। देश भाषाओं में शिक्षा होने के कारण स्वयं ग्रंथ बनते गए हैं। - साहित्याचार्य रामावतार शर्मा।
- "जो भाषा सामयिक दूसरी भाषाओं से सहायता नहीं लेती वह बहुत काल तक जीवित नहीं रह सकती।" - पांडेय रामवतार शर्मा।
- "आप जिस तरह बोलते हैं, बातचीत करते हैं, उसी तरह लिखा भी कीजिए। भाषा बनावटी न होनी चाहिए।" - महावीर प्रसाद द्विवेदी।